देश और प्रदेश में विधान सभा की सीटों का लगातार खाली होना जारी है, चुनाव आयोग इस पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए उपचुनावों की घोषणा भी कर रहा है।
मऊ जिले की घोसी विधानसभा के लिए चुनाव आयोग ने घोषणा भी कर दी है। परंतु देश में दो ऐसी लोकसभा सीटें हैं जो संसद सदस्यता खत्म होने से रिक्त हो चुकी हैं ,पर उन पर उपचुनावों की घोषणा अभी तक नहीं हुई। ये सीटें हैं केरल की वायनाड सीट जो राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने से रद्द हुई है,और गाजीपुर लोकसभा सीट जो माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता जाने से रद्द हुई है।
इन सीटों पर उपचुनाव की घोषणा अभी तक चुनाव आयोग ने नहीं की है।
कुछ लोग इन दोनों सीटों पर उपचुनाव की आस लगाए बैठे हैं तो वहीं कुछ लोग ये कहते नहीं चूक रहे कि इन सीटों पर चुनाव नहीं होगा। सभी लोग अपना अपना कयास लगा रहे, परंतु चुनाव आयोग की चुप्पी इन सभी पर भारी पड़ रही।
आइए जानते हैं उप चुनावों का क्या है नियम
पीपल्स रिप्रेजेंटेशन एक्ट के सेक्शन 1951 (आ) के तहत लोकसभा की सीट खाली होने के 6 महीने के अंदर उपचुनाव कराना जरूरी है, 6 महीने की गणना लोकसभा की सीट खाली होने की तिथि से की जाएगी.
परंतु इस नियम के साथ एक और शर्त है कि सदस्यता रद्द हुई सीट पर पहले से निर्वाचित सदस्य का कार्यकाल यदि 1 वर्ष से कम है तो ऐसे में चुनाव आयोग केंद्र सरकार से समन्वय स्थापित कर इस बात का आकलन करके इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि चुनाव कराया जाना मुश्किल है। ऐसी स्थिति में 6 महीने के भीतर चुनाव कराने का प्रावधान कांस्टीट्यूशन इंटरप्रिटेशन कर इस बावत निर्णय चुनाव आयोग लेगा।
तकनीकी रूप से देखा जाए तो इन दोनों सीटों के निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल 1 साल से ज्यादा बचा हुआ था, क्योंकि लोकसभा चुनाव जून 2024 में होने हैं और जहां राहुल गांधी की सदस्यता मार्च में रद्द हुई वहीं अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता रद्द का गैजेट 1 मई को जारी हुआ।
इस तरह से देखा जाए तो तकनीकि रूप से दोनो सीटों पर सदस्यों का कार्यकाल 1 साल से ऊपर बचा हुआ था। ऐसे में देखना यह है कि इन चुनावों के मद्देनजर चुनाव आयोग क्या निर्णय लेता है।