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Mau News: मऊ में मनाई गई धरती पुत्र मुलायम सिंह की 85 वीं जयंती , जानिए कैसे बने मुलायम सिंह धरती पुत्र।

 समाजवादी पार्टी के संस्थापक ,पूर्व रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन पार्टी मुख्यालय पर समारोह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती जरूरत मंद मरीजों को फल एवम दूध का वितरण किया। 

इस अवसर पर बोलते हुए समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष ने  बताया कि नेता जी के जन्मदिन पर हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी जरूरतमंद मरीजों को फल और दूध का वितरण किया गया। उन्होंने कहा कि हम सभी नेता जी के बताए हुए पदचिन्हों पर चलने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि नेता जी धरतीपुत्र थे।वो जमीन से जुड़े हुए नेता थे और गरीबों ,शोषितों और वंचितों के लिए कार्य करने को हमेशा तत्पर रहते थे। मुख्यमंत्री और रक्षामंत्री रहते हुए उन्होंने बहुत सारे ऐतिहासिक कार्य किए हैं। उनकी आवाज पिछड़ों के लिए हमेशा बुलंद रही। दलितों और पिछड़ों को उनका हक दिलाने का कार्य नेता जी ने हमेशा किया।

उन्होंने कहा कि नेता जी के पदचिन्हों पर हम सभी हमेशा चलने की कोशिश करेंगे।

जानिए कैसे बने मुलायम सिंह धरतीपुत्र..और कैसा  रहा उनका सफर

अखाड़े की कुश्ती से लेकर देश के फलक पर चमकने वाले मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक कैरियर शानदार रहा है। उन्होंने समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश से बाहर भारतीय राजनीति में पहचान दिलाई। देश की राजनीति में मुलायम सिंह का कुनबा आज भी बड़ा माना जाता है। 7 बार सांसद, 8 बार विधायक, एक बार रक्षा मंत्री और 3 बार 1989, 1993, और 2003 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले मुलायम सिंह का सियासी जीवन छह दशकों पर शामिल है। उन्हें ‘धरती पुत्र’ कहा जाता था।


इटावा में 22 नवंबर 1939 को सुघर सिंह यादव और मूर्ति देवी के घर जन्म लेने वाले मुलायम सिंह यादव का परिवार साधारण किसान था। सुघर सिंह के पांच बेटों में मुलायम सिंह तीसरे नंबर पर थे। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई स्थानीय परिषदीय स्कूल से की। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कॉलेज में कदम रखा। करहल के जैन इंटर कॉलेज से बारहवीं की पढ़ाई करने के बाद मुलायम सिंह इटावा चले गए। इटावा के केकेडीसी कॉलेज से मुलायम सिंह ने ग्रेजुएशन की डिग्री ली।


मुलायम सिंह के राजनैतिक कैरियर का आगाज छात्रसंघ चुनाव से होता है। 1962 में पहली बार छात्रसंघ के चुनाव की घोषणा हुई थी। मुलायम सिंह यादव पहले छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने में कामयाब रहे। उन्होंने छात्र राजनीति से युवा नेता के तौर पर पहचान बनाई। शिकोहाबाद के डिग्री कॉलेज से एमएम की शिक्षा लेने के बाद मुलायम सिंह यादव ने बीटी किया। कुछ समय तक करहल के जैन इंटर कॉलेज में बतौर शिक्षक का काम भी किया। अखाड़ा की कुश्ती में दांव पेंच से विरोधियों को पटखनी देनेवाले मुलायम सिंह यादव के कौशल को पहचानने का काम नत्थू सिंह ने किया।


1967 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने मुलायम सिंह के लिए परंपरागत जसंवत नगर सीट छोड़ दी। मुलायम सिंह यादव पहली बार सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़कर महज 28 साल की उम्र में विधायक बन गए। विधायक बनने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। राजनीति की अलग-अलग भूमिकाओं में उन्होंने दायित्वों का निर्वाह बड़ी कुशलता से किया। उन्होंने विधायक और सांसद बनने के अलावा 3 बार 1989, 1993, और 2003 में मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाला।


1974 में मुलायम सिंह यादव ने सोशलिस्ट पार्टी का साथ छोड़कर भारतीय क्रांति दल का दामन पकड़ लिया। 4 अक्टूबर 1992 को उन्होंने समाजवादी पार्टी की बुनियाद रखी। लोहिया को आदर्श मानने वाले मुलायम सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पद चिह्नों पर सफर शुरू किया। 1975 में आपातकाल के दौरान 19 महीनों तक कैदी भी बने। 1990 में राम मंदिर आंदोलनकारियों पर गोली चलवाकर मुलायम सिंह यादव भारतीय राजनीति का चर्चित चेहरा बन गए। अखिलेश यादव मुलायम सिंह की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। यादव परिवार के कई नेता देश प्रदेश की राजनीति कर रहे हैं। शिवपाल सिंह यादव, प्रोफेसर राम गोपाल, अपर्णा यादव और धर्मेंद्र यादव का नाम प्रमुख रूप से शामिल है। 83 साल की उम्र में मुलायम सिंह यादव ने दुनिया को अलविदा कह दिया।






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